सुषमा स्वराज (1952 – 2019): सादर नमन Tribute to Sushma Swaraj, Indian Peacemaker & Politician
Pooja Kumari for WordForPeace.com
सुषमा स्वराज एक ऐसा व्यक्तित्व जिसकी सोच और काम का तरीका विरोधियों को भी उनका मुरीद बना दें, राजनिति में एक लम्बे समय तक सक्रीय रहने के दौरान उन्होंने कई बेहतरीन नमूने पेश किये अपनी समझदारी और सूझबूझ के फिर चाहे वह हरियाणा में सबसे कम उम्र की केबिनेट मंत्री के रूप में हो , दिल्ली की मुख्यमंत्री का रोल हो, नेता विपक्ष हो या अब तक की सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली विदेश मंत्री के रूप में हो|
एक बेहतरीन वक्ता और अपनी बात को बेहद संजीदगी से रखने का हुनर उनके पास बखूबी रहा, भारत का प्रितिनिधित्व विश्व पटल पर करना सबको स्वीकार करने की भारतीय संस्कृति को एक नये रूप में सवांरा हिंदी को वहां एक अलग पहचान दिलवाई उनके काम की वजह से ही उनको दुनिया के 50 देशो के राजदूतों ने राष्ट्र संघ में याद किया|
जनता का नेता वास्तविक रूप में किस तरह होना चाहिए ये हम उनसे सीख सकते है, अप्रवासी भारतियों के लिए आधी रात को भी विदेश मंत्रालय के दरवाजे सोशल मिडिया के जरिये हमेशा खुले रहते थे और ऐसा पहली बार हुआ था जब वो लोगों के सवालों के जवाब खुद और वक्त रहते दे कर सबको चौंका देती थी |
वैचारिक मतभेद भले रहे हो लेकिन कभी गलत भाषा का प्रयोग नहीं करने वाली एक सक्षम महिला जो अगर संसद में बोलती थी तो उनको सुना जाता था उनकी गिनती उन कम नेताओं के रूप में हमेशा रहेगी जिन्होंने लोगो से लोगों के बिच संवाद कायम किये कलाम साहब और वाजपयी साहब की तरह ही उन्हें लोगों का नेता कहा जाये तो कोई बड़ी बात नहीं|
एक सफल विदेशी निति को उन्होंने नई पहचान दी फिर वो पाकिस्तान से गीता की वापसी हो, कुलभूषण जाधव का केस हो या फिर स्वयं एक पाकिस्तानी बच्चे के एम्स में इलाज का मसला हो सबको बेहतर तरीके से सुलझाया जिसपर उस परिवार ने उन्हें बेहद संवेदनशील माहौल (धारा 370 का हटाया जाना) में भी भाव पूर्ण रूप से श्रधांजलि दी और उन्हें याद किया|
उनका सम्बन्ध ऐसी पार्टी से था जिसे ज्यादातर हिन्दुओं से ही जोड़ कर देखा जाता है लेकिन उन्होंने इन सबसे परे अपना काम किया और लोगो को बताया की वो इस देश की विदेश मंत्री है किसी पार्टी विशेष या केवल हिन्दुओं की नहीं और इस बात से हमारे तमाम मुस्लिम परिवार भली भांति अवगत है जिनके बच्चो को सुरक्षित अरब के देशों से वापस लाने का काम किया, पाकिस्तान में फसे एक मुस्लिम युवक और युवती की मदद कर भारत वापस लाई जिन्होंने उन्हें अपनी माँ का दर्जा दिया|
उनका इस तरह अचानक जाना हम सभी को हमेशा खलेगा साथ ही प्रेरित भी करेगा की हम एक साफ सुथरी छवि वाला व्यक्तित्व कायम कर सकते है राजनीती में भी, फिर वो किसी भी पार्टी में ही क्यों न हो, अपनी हाज़िर जवाबी के कारण भी उनको हमेशा याद रखा जायेगा जहाँ उन्होंने उन लोगों को भी समझदारी से जवाब दिया जिन्होंने उन पर आरोप लगाने की कोशिश की|
5 साल में जिन नीतियों को विश्व मंचों पर उन्होंने उठाया और पुरुषों के बिच अपनी बात और भारत के नजरियें को रखा जहाँ उनमे भारत की छवि दिखाई देती थी और दिखाई देती रहेगी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन कर दुनिया को 6 अगस्त 19 को दुनिया से अलविदा कह गई लेकिन हम सबके बिच हमेशा रहेंगी प्रेरणा बन कर जिन्हें न केवल भारत याद रखेगा बल्कि दुनिया की स्मिति में भी रहेंगी| उनके आदर्शों पर चल कर हम सभी अपना व्यक्तित्व निर्माण कर सकते है|