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COVID-19 & Unity of Religions कोविड -19 और दुनिया के धर्मों का एक साथ आना

By Pooja Kumari, WordForPeace.com

पूजा कुमारी

इंसान सदियों से जब भी मुसीबत में आया है उसकी आखिरी उम्मीद उसका अपना धर्म रहा है, जिसकी उम्मीद के भरोसे वह बेहतरी की कामना करता है| मगर आज जिस महामारी की बात की जा रही है उसका फैलाव रोकने के लिए दुनिया के सभी धर्म अपने स्थानों पर स्थिर हो गए है | कभी न बंद होने वालें मंदिर, मस्जिद, गिरिजाघर और तमाम पवित्र स्थल आज बंद हो चुके है| एक सुर में सभी धार्मिक गुरुओं ने अपने अनुयायीओं से घर में ही रह का इबादत की गुहार लगाई है| पोप की सभा से लेकर मक्का मदीना के दरवाजे इस कदर कभी बंद न हुए थे जैसे आज हुए है| दुनिया में जब से कोविड -19 नामक वैश्विक महामारी और लॉकडाउन की शुरुवात हुई है तब से तमाम धर्मों ने अपने अंधकार के चमत्कारी चोले को छोड़ एक साथ आने का जो फैसला किया है वो सराहनीय है|

आज एक बार फिर सभी धार्मिक ग्रंथों में लिखी बातें सीधे लोगों के अंदर उतर रही है की ऊपरवाला अपने ही अंदर मौजूद है जिसे कही बाहर तलाश करने की जरूरत नहीं है, न ही किसी भी पाखंड में आकार खुद के साथ दूसरों के जीवन को तकलीफ में लाने की जरूरत है |

भारत में पहलें चैत दुर्गा पूजा, छठ, राम नवमी और महावीर जयंती पर होने वाला उत्सव खुले तौर पर रोक दिया गया, वही हनुमान जयंती पर हनुमान मंदिरों पर तालें लगे रहे| शब- ए – बारात के वक्त पर फातिया पढ़ने मस्जिद और कब्रिस्तान जाने पर रोक लग चुकी है| हर धर्म ने घर से उपरवालें को याद करने को कबूल किया और माना है इंसानियत को बचाने के लिए इस व्यक्त सबसे जरूरी यही है|

हमारे वक्त के सभी धार्मिक गुरु या तो घरों से कैद होकर अपने प्रवचन दे रहे है या फिर उनसे जुड़ी संस्थाएं लोगों की मदद में आगे आ रही है, हमने ये अमेरिका में गुरुद्वारों द्वारा लोगों के लिए खाने का प्रबंद करने से लेकर भारत में भी तमाम धर्मों के पालन करने वालों द्वारा लोगों की मदद करते देखा| साथ ही आज धर्म का असली मकसद भी हासिल होता दिख रहा है, जो अब तक सिर्फ दिखावे तक सीमित हो चुका था| भारतीय राहत कोष में भी इन संस्थाओं द्वारा मुसीबत के वक्त बड़े पैमाने पर रहात राशि दान दी जा रही है, जिससे साबित होता है की मानवता के असल मायने यही हैं|

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