कोविड-19 और पृथ्वी का अपने नए आवरण में आना
Word For Peace
पूजा कुमारी
दिसंबर 2019 में चीन से शुरू हुई कोविड-19 नामक बीमारी अब-तक पूरी दुनिया में एक महामारी के रूप में फैल चुकी हैं, जिससे विश्व की लगभग हर बड़ी अर्थ व्यवस्था जूझती दिखाई पड़ रही है| विश्व भर के देश अपनी चिकित्सा को मजबूत करने की कोशिश कर रहे है ताकि लोगों को मौत के मुँह में जाने से रोक जा सके| इसी दिशा में दुनिया के तमाम छोटे बड़े देशों ने लॉकडाउन की घोषणा की है जिसका मतलब ये हुआ की कुछ बेहद जरूरी आवयश्क वस्तुओं की आवाजाही के अलावा बाकी सभ गतिविधियों पर एक तय समय तक पूरी तरह पवंदी होगी|
वैश्विक स्तर पर इस पवंदी से पर्यावरण में सराहनीय सुधार हुए है, जिसके लिए अलग से किसी को कुछ भी देना नहीं पड़ रहा है| 1970 के दशक से यूएन में सभी देशों के लाख कोशिशों करोड़ों खर्च के बावजूद जिस पर्यावरण में सुधार की जगह गिरावट दिख रही थी| अब अचानक इस लॉकडाउन ने कुदरत को खुद ही मौका दे दिया है अपने आप को फिर से जींदा करने का|
दुनियाभर के वनीय जीवों को अपने आस-पास के माहौल में बिना किसी रोक-टोक घूमने और बढ़ने का भी मौका मिल रहा है| पर्यावण से जुड़े मीडिया रिपोर्ट्स में छपी दुनिया की हर तस्वीर ये बयान कर रही है की, किस तरह हर देश में तापमान सहित हवा की शुद्धि में बेहतरी आई है| हालिया छपी एक शोध में ये बात भी आई है की जिन देशों की हवा साफ हो रही है वहाँ कोविड-19 का फैलाव कम हुआ है, इस तरह हम ये भी कह सकते हैं की शुद्ध होती हवा से बीमारी को रोकने में मदद मिलेगी|
पृथ्वी खुद से अपने नए आवरण में आ रही है, ओज़ोन लेयर में सकारात्मक सुधार दिखने शुरू हो रहे है और वेनिस सहित कई जगहो का पानी देखने लायक खूबसूरत हुआ है जिनमें जीव – जन्तु दोबारा तैर सकते है|
भारत ; गंगा – यमुना जैसी तमाम भारतीय नदियों का पानी खुद-ब-खुद साफ होने लगा है| सरकार की माने तो 33 में से 27 चिन्हित जगहों पर गंगा का पानी फिर से नहाने लायक साफ हो गया है| इन नदियों की सफाई पर सरकार सालों से अलग-अलग करोड़ों रुपयों की परियोजनाए लागू का चुकी थी मगर पानी की सफाई में न के बराबर ही सफलता मिली थी| दिल्ली की हवा में 36 साल बाद इतनी शुद्धता देखने को मिली है, ओडिशा के तटीय इलाकों में सालों बाद इतनी बड़ी संख्या में कछुओं को देखा गया| वही पंजाब से 30 साल बाद हिमालय के पहाड़ फिर से दिखाई दिए है|
इस वक्त ने मनुष्य को इस खूबसूरत एहसास से वाकिफ किया कि अगर लंबे वक्त तक हम अपने पर्यावरण को बनाएं रख सके तो हमें किसी भी नई परेशानी से उबरने में भी मदद मिलेगी| हमें प्रकृती का सम्मान करना कभी नहीं भूलना चाहिए, जिससे हम अपनी जरूरत की हर चीज लेते है लेकिन उसे बदले में अक्सर नुकसान ही पहुंचाते है|
लॉकडाउन से प्रकृती ने जिस तरह खुद में तबदीली कि है, जब दुनिया इस महामारी से उबर का अपने घरों के दरवाजे से बाहर निकलेगी उसे एक नयें सवेरे के साथ ये प्रकृती खुली बाहों से उसका स्वागत करेगी| साथ ही हम फिर से ये समझेंगे की ये संसार सिर्फ इंसानों का नहीं बल्कि हजारों और जीव – जंतुओं का भी है जिन्होंने बिना किसी नुकसान के इस कठिन वक्त में दुनिया को फिर से जीने लायक बना दिया है|